best crops to sow in november for farmers: नवम्बर में इन फसलों की बुवाई से किसान पा सकते हैं शानदार मुनाफा: नवंबर महीने के पहले दो सप्ताह बीत चुके हैं और किसान खरीफ फसलों की कटाई के बाद नई फसलों की बुवाई में लगे हुए हैं। नवंबर में गाजर, सरसों, लहसुन जैसी सब्जियों की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय है। इस लेख में जानिए, इन फसलों की बुवाई का सही तरीका और इसके लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
गाजर की बुवाई - सही समय और टिप्स
best crops to sow in november for farmers: नवम्बर में इन फसलों की बुवाई से किसान पा सकते हैं शानदार मुनाफा: नवंबर के महीने में गाजर की बुवाई का समय है। किसान गाजर की बुवाई मेड़ों (Raised beds) पर कर सकते हैं। बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी होनी चाहिए। इस मौसम के लिए सबसे अच्छी किस्म Pusa Rudhira है और बीज की दर 2.0 किलोग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए। बीज को बुवाई से पहले 2 ग्राम केप्टान से उपचारित करें। मशीन से बुवाई करने पर बीज की आवश्यकता 1.0 किलोग्राम प्रति एकड़ हो जाती है, जिससे बीज की बचत होती है और उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर रहती है।
नवंबर में सरसों और लहसुन की बुवाई
नवंबर का महीना सरसों और लहसुन की बुवाई के लिए भी उपयुक्त है। इस समय सरसों की किस्म Pusa Sagi-1 का चयन करें। लहसुन की बुवाई के लिए मिट्टी में उचित नमी का ध्यान रखें और जैविक खाद के साथ फास्फोरस खाद का उपयोग करें।
नवंबर में बुवाई के लिए अन्य फसलें
इसके अलावा किसान निम्नलिखित फसलों की भी बुवाई नवंबर के महीने में कर सकते हैं:
- सरसों Sagi-1
- मूली (जापानी व्हाइट, हिल क्वीन)
- पालक (ऑल ग्रीन, पूसा भारती)
- शलगम (पूसा स्वेती)
- धनिया (पंत हरितमा)
बुवाई से पहले मिट्टी की नमी और उर्वरक का ध्यान रखें
किसी भी फसल की बुवाई से पहले यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त नमी हो। इसके साथ ही जैविक खाद और फास्फोरस उर्वरक का प्रयोग करें, ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता बेहतर हो और फसल की वृद्धि को बढ़ावा मिले।
ब्रोकली और फूलगोभी की पौधशाला
नवंबर का महीना ब्रोकली, फूलगोभी और बंदगोभी की पौधशाला तैयार करने के लिए भी उपयुक्त है। पौधशाला के लिए क्यारियां उन्नत और ऊँची होनी चाहिए ताकि पानी का निकास आसानी से हो सके। यदि आपने पहले ही पौधशाला तैयार कर ली है, तो मौसम को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई ऊँची मेड़ों पर करें।
मिर्च और टमाटर में रोगों से बचाव
किसान मिर्च और टमाटर के पौधों को ध्यान से देखें और यदि किसी पौधे में विषाणु रोग पाया जाए, तो उसे उखाड़कर जमीन में दबा दें। अधिक प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड का 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
गेंदे और ग्लेडियोलस की बुवाई
गेंदे और ग्लेडियोलस की बुवाई नवंबर में की जा सकती है। इन फूलों की बुवाई भी मेड़ों पर की जानी चाहिए, ताकि जड़ें ठीक से विकसित हो सकें और जल निकासी सही हो। ये फूल किसानों के खेतों को सजाते हैं और बाजार में भी अच्छे दाम पर बिकते हैं।
पराली जलाने से बचें
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को न जलाएं। पराली जलाने से वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह धुंआ सूर्य की किरणों को फसलों तक पहुंचने से रोकता है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है और फसलों की उत्पादकता कम होती है।
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए पराली का उपयोग
किसान धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और यह पलवार (Mulch) का काम करता है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। पराली को सड़ाने के लिए Pusa Decomposer Capsules का उपयोग किया जा सकता है। 4 कैप्सूल प्रति हेक्टेयर की दर से इसका उपयोग करें।